Sunday, July 3, 2016

भाजपा शासित राज्यो में पारा शिक्षकों का शोषण।

★गुजरात सरकार पारा शिक्षकों को आरटीई एक्ट के तहत फिक्स वेतन नहीं दे रही।
★विद्या सहायकों को वेतन न देने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गई राज्य सरकार।
★विद्या सहायकों को न्याय दिलाने के लिए वरिष्ठ अधिवक्ता कॉलिन गोंजाल्विस रख रहे हैं पक्ष।
★झारखण्ड में भी पारा शिक्षकों की बुरी हालत। टेट पास और बीएड को मिलते हैं 7000 रु. बिना टेट प्रशिक्षित को 5000रु./
★झारखण्ड के पारा शिक्षक भी सरकार के खिलाफ हाई कोर्ट में लड़ रहे हैं केस।
यूपी में बीजेपी संविदा कर्मियों को नियमित करने का दिलासा दे कर करती हैं ढोंग।
■यूपी के शिक्षामित्रों के लिए प्रधामंत्री मोदी भी दे चुके है झूठा आश्वासन।

●आरटीई एक्ट 2009 के लागू होने के बाद 31 मार्च 2015 प्रत्येक शिक्षक प्रशिक्षित होना अनिवार्य है।
साथ ही उसे नियमित शिक्षक के बराबर वेतन देना भी अनिवार्य है। एक्ट की धारा 23(3) के अधीन राज्य सरकार इस के लिए वाध्य है।
लेकिन बीजेपी शासित राज्यों की सरकारें न तो आरटीई एक्ट का पालन कर रही हैं और न ही संविधान प्रदत्त मौलिक अधिकारों का संरक्षण।
राज्य सरकार संविधान प्रदत्त ज़िम्मेदारियों से मुंह चुरा रही हैं। 
ऐसी स्थिति बीजेपी शासित राज्यों में ही देखने को मिल रही है।
यूपी और गुजरात के पारा शिक्षकों के लिए वरिष्ठ अधिवक्ता कॉलिन गोंजाल्विस सुप्रीम कोर्ट में वकील हैं जोकि पहले भी अपने ह्यूमन राईट लॉ नेटवर्क के माध्यम से सुप्रिम कोर्ट में पीआईएल दाखिल कर पारा शिक्षकों को नियमित करने की गुहार लगा चुके हैं।
★आजीविका और मान सम्मान से कोई समझौता नहीं।।
मिशन सुप्रीम कोर्ट ©रबी बहार*, केसी सोनकर, संदीप शर्मा, माधव गंगवार, सोनू उपाध्याय और साथी*।

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