◆नियमित कार्य जैसे पत्रकारिता और शिक्षण कार्य के लिये संविदाकर्मी नहीं रखे जाना चाहिए।।
◆वरिष्ठ अधिवक्ता कॉलिन गोंजाल्विस 19 जुलाई को संविदा मीडिया कर्मियों और 27 जुलाई को शिक्षामित्रों के केस में बहस करेंगे।।
★देश के 100 बड़े वकील मीडिया कंपनियों के तरफ से खड़े होंगे और वरिष्ठ वकील कॉलिन गोंजाल्विस संविदा पत्रकारों के लिए बहस करेंगे।।
देश में संविदा मीडिया कर्मियों की नियुक्ति पर रोक और नियमित वेतन देने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले को मीडिया कंपनियों ने नहीं माना और इस मुद्दे पर डाली गई अवमानना याचिकाओं पर सुनवाई 19 जुलाई को होगी।
संविदा पर काम कर रहे मीडिया कर्मियों का केस लड़ रहे "पीपल्स लॉयर" कहे जाने वाले देश के जाने माने अधिवक्ता कॉलिन गोंजाल्विस ने इस केस को जिताने में सब से महत्त्वपूर्ण रोल अदा किया।
गौरतलब है सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक आदेश, दो माह के भीतर देना होगा मजीठिया वेतनमान।
मजीठिया वेतन बोर्ड की सिफारिशों को लागू न करने संबंधी अवमानना के तीन मामलों की सुनवाई करते हुए माननीय सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति रोहिंगटन एफ नरिमन की खंडपीठ ने सोमवार को ऐतिहासिक आदेश दिया। जैसे ही तीनों मामले उनके समक्ष सुनवाई के लिए पेश किए गए। उन्होंने वरिष्ठ वकील श्री कोलिन गोंजाल्विस से इस संबंध में पूछा।
तीनों मामले एक ही जैसे थे और इससे पहले एक मामला इंडियन एक्सप्रेस का न्यायमूर्ति रंजन गोगोई के समक्ष आ चुका था। मामले की गंभीरता को देखते हुए कुछ देर तक दोनों न्यायमूर्तियों ने आपस में विचार किया और आदेश दिया कि दूसरी पार्टियां दो महीने के भीतर सुप्रीम कार्ट के फैसले का अनुपालन करें।
इस केस में सुप्रीम कोर्ट ने व्यवस्था दी है कि नियमित कार्यों जैसे पत्रकारिता, शिक्षण आदि कार्य के लिए संविदा कर्मी नहीं रखे जा सकते।
28 अप्रैल की सुनवाई में माननीय जज ने अवमानना याचिओं के जवाब में अखबार मालिकों द्वारा काउंटर एफिडेविट दाखिल नहीं किये जाने को लेकर कड़ा ऐतराज जाहिर किया था. जस्टिस गोगोई के चेहरे पर खिन्नता साफ नजर आ रही थी और उन्होंने कहा कि अब आगे से कोई काउंटर एफिडेविट स्वीकार नहीं किया जायेगा. वस्तुतः अखबार मालिक अपने पक्ष में देश के महंगे वकीलों को हायर करके यह सोच लिया था कि वे न्याय को अपने पक्ष में मोड़ लेंगे. अखबार मालिकों के पक्ष में कपिल सिब्बल, सलमान खुर्शीद, अभिषेक मनु सिंघवी, दुश्यंत पांडे और श्याम धवन जैसे वकीलों के नेतृत्व में सौ से अधिक वकील कोर्ट रूम में खड़े थे और अदालत कक्ष इनकी वजह से पैक्ड हो गया था. वे मालिकों के लिए वक्त खरीदना चाहते थे, मगर अदालत ने उन्हें थोड़ा भी वक्त देने से इनकार कर दिया.
इन बड़े वकीलों के खिलाफ केस लड़ रहे वरिष्ठ अधिवक्ता और एक अन्य अवमानना याचिका की पैरवी करने वाले वकील श्री कॉलिन गोंजाल्विस ने अदालत से कहा कि दिल्ली सरकार इस संबंध में कुछ करना चाह रही है. उन्होंने यह भी कहा कि वर्किंग जर्नलिस्ट एक्ट का नियम 17बी सरकार को इस संबंध में आवश्यक कदम उठाने का अधिकार देता है.
डॉ कॉलिन शिक्षामित्र समायोजन केस में भी शिक्षामित्रों के विधिक जानकार सक्रिय समूह की ओर से केस लड़ रहे हैं। और इस मामले में उन्होंने मजीठिया वेज बोर्ड के सम्बन्ध में की गई सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन को अपने मुकद्दमे का हिस्सा बनाया है।
★आजीविका और मान सम्मान से कोई समझौता नहीं।।
मिशन सुप्रीम कोर्ट के लिए:©रबी बहार*, केसी सोनकर, संदीप शर्मा, माधव गंगवार, सोनू उपाध्याय और साथी*।।
3 comments:
Good job boss
Yes we want both- आजीविका & सम्मान
Best of luck.
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