Thursday, July 7, 2016

शिक्षामित्रों का प्रशिक्षण सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्देशित गाइड लाइन के तहत हुआ।

बीएड बेरोज़गारों के दिवा स्वप्न और आरटीई एक्ट।।

आरटीई एक्ट की बुन्याद अनुच्छेद 21क के 86 वें संशोधन से पड़ी। और ये 21क सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्णीत उन्नीकृष्णन केस का परिणाम है।
अब बात आरटीई एक्ट की, ये अधिनयम 2002 से बनना शुरू हुआ और 2004 में पूर्ण हो कर 2005 लागू किये जाने के लिए राज्यों को भेज दिया गया।
चूँकि राज्यों ने फंड न होने का रोना रोया। अंततः आरटीई एक्ट लागू करने का फैसला 2005 में केंद्र को त्यागना पड़ा।
शिक्षामित्रों के सम्बन्ध में तत्समय 2005 में ही प्रशिक्षित कर अध्यापक नियुक्त करवाने की सम्पूर्ण व्यवस्था आरटीई एक्ट 2005 में कर दी गई थी।
बीएड बेरोजगार शायद ये सब जानकारी नहीं रखते हैं कि एनसीटीई रेगुलेशन 2001, 2003, 2005, 2007 तक लगातार ये दोहराता रहा है कि बीएड की डिग्री प्रशिक्षण प्राथमिक शिक्षा के लिए नहीं है और इन्हें प्राथमिक शिक्षा में अध्यापक नियुक्त न किया जाये।
लेकिन राज्य सरकारें एनसीटीई रेगुलेशन को न मानकर बीएड धारकों को 6माह का विशेष प्रशिक्षण दे कर शिक्षक नियुक्त करती रहीं। यहाँ तक कि उप्र सरकार ने आरटीई 2009 लागू होने के बाद भी एनसीटीई से अनुमति लेकर 2014 तक इनकी भर्ती शुरू की।
ये अनुमति भी सिर्फ इसलिये दी गई क्योकि राज्य में शिक्षकों की कमी थी इसलिए जब अच्छे अनुभवी प्रशिक्षित शिक्षमित्र पूरे नहीं तो मज़बूरन राज्य को बीएड वालों की 72825 की भर्ती करने की अनुमति लेना पड़ी।
बीएड बेरोजगारों की ओर से बार बार ये मुद्दा उठाया जाता है कि शिक्षामित्रों दूरस्थ बीटीसी प्रशिक्षण अवैध है।
ये कहना तथ्यों से मुँह चुराने जैसा है। शिक्षामित्रों का प्रशिक्षण सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्देशित और उसी के द्वारा स्वीकृत गाइड लाइन के तहत कराया गया। ये सिर्फ उत्तर प्रदेश में ही नहीं हुआ बल्कि पुरे देश भर के सभी राज्यों ने कराया। ये सब तथ्य "मिशन सुप्रीम कोर्ट" समूह से जुड़े लोग अपने वकील के माध्यम से 27 जुलाई की सुनवाई में रखेंगे। उस समय बीएड बेरोज़गारों के वकील की हालत देखने वाली होगी।
वैसे हम लोग बीएड बेरोज़गारों से सहानुभूति रखते हैं। सरकार को राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के तहत वृहद् स्तर पर रिक्तियां निकाल कर उन्हें रोजगार उपलब्ध करवाना चाहिए। आशा है सरकार बीएड बेरोज़गारों की व्यथा को समझेगी।
©मिशन सुप्रीम कोर्ट।।

3 comments:

mohit k tyagi said...

well done bro👍👍👍👍👍👍

Prem said...

जय माता दी।

Unknown said...

Very nice