Monday, January 23, 2017

*शिक्षामित्र समायोजन केस और 32000 शिक्षामित्रों की मौलिक नियुक्ति सम्बन्धी मामलों की सुनवाई फरवरी के दूसरे सप्ताह में होगी।*

मिशन सुप्रीम कोर्ट ग्रुप ने 32000 शिक्षामित्रों को मौलिक नियुक्ति दिए जाने, शिक्षामित्रों के प्रशिक्षण की वैधता और मिशन की याचिकाओं को निर्णीत किये बिना शिक्षामित्र समायोजन केस निर्णीत न करने के संबंध में *दायर 3 याचिकाओं की सुनवाई फरवरी के दूसरे सप्ताह में होना सुनिश्चित है।*
उक्त सभी याचिकाओं पर मिशन सुप्रीम कोर्ट समूह की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्त कॉलिन गोंसाल्विस सहित अन्य वरिष्ठ अधिवक्ता शिक्षामित्रों का पक्ष रखेंगे।।
★आजीविका और मान सम्मान से कोई समझौता नहीं।।
©मिशन सुप्रीम कोर्ट ग्रुप।।

Thursday, October 20, 2016

*एसएसए आरटीई एक्ट लागू करवाने वाली एजेंसी है :सुप्रीम कोर्ट।*

बड़ी खबर: भाग -2  (शिक्षक बनाम शिक्षामित्र मामले में आया नया मोड़। एक अन्य बेंच में हुई 4 अक्टूबर को सुनवाई।)
5 अक्टूबर 2016 को जस्टिस दीपक मिश्रा और यू यू ललित की खंडपीठ में हुयी एक सुनवाई के आदेश में कोर्ट ने कहा कि सर्व शिक्षा अभियान आरटीई एक्ट लागू करवाने वाला एक अभिकरण है। *ज्ञातव्य हो कि शिक्षामित्र एसएसए द्वारा नियुक्त शिक्षक हैं।* ये मामला तेलंगाना राज्य का है।
आइये अब बात 4 अक्टूबर को बीएड बेरोज़गारों की अवमानना याचिका की।
जैसा कि कल की पोस्ट में हमने आदेश की विस्तृत जानकारी देने वादा किया था इसी कड़ी में हम आप को बताते चलें कि कोर्ट ने *उत्तर प्रदेश में प्राथमिक शिक्षा के भौतिक एवं मानवीय संसाधनों की विस्तृत जानकारी लेने के लिए तीन सदस्यीय वरिष्ठ अधिवक्ताओं की एक कमेटी का गठन किया है जिसके चैयरमैन वरिष्ठ अधिवक्ता श्री अशोक गुप्ता होंगे। ये कमेटी दो सप्ताह इलाहबाद में रहकर भौतिक संसाधनों के साथ साथ शिक्षकों की आवश्यकता पर अपनी रिपोर्ट कोर्ट द्वारा निर्धारित तेलंगाना गाइड लाइन पर तैयार कर जस्टिस दीपक मिश्रा की खंडपीठ को सौंपेगी।*
*ध्यान रहे ये याचिका शिक्षामित्रों को हटा कर बीएड बीटीसी बेरोज़गारों को नियुक्त करने के उद्देश्य से डाली गई है।*
यहाँ ये भी जानना ज़रूरी है कि कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को इलाहबाद के अपने मन पसंद स्कूलों की सूची उक्त जाँच कमेटी को सौंपने की छूट दी है।
*इस पुरे मामले की ख़ास बात ये कि इस केस में राज्य सरकार की ओर से मात्र एमआर शमशाद जो एओआर वकील ही खड़े होते रहे हैं साल भर से। मिशन सुप्रीम कोर्ट समूह के रबी बहार, केसी सोनकर और साथियों के अलावा शिक्षामित्रों के अन्य पैर्विकारों को तो इस केस की अब तक कोई जानकारी नहीं है।*
★आजीविका और मान सम्मान से कोई समझौता नहीं।
शेष कल....
©मिशन सुप्रीम कोर्ट।।

शिक्षक बनाम शिक्षामित्र मामले में आया नया मोड़। एक अन्य बेंच में हुई 4 अक्टूबर को सुनवाई।

*बड़ी खबर:* *बिग ब्रेकिंग न्यूज़*

जैसा कि मिशन सुप्रीम कोर्ट शिक्षामित्र समाज को अवगत करा चुका है कि शिक्षामित्रों के खिलाफ एक अन्य बेंच में सुनवाई चल रही है। 4 अक्टूबर की सुनवाई का आज आदेश आ गया है जिस के मुख्य बिंदु इस प्रकार हैं:-
# *शिक्षामित्र बनाम शिक्षक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कमेटी का किया गठन।*

# *ये कमेटी योग्य शिक्षकों की आवश्यकता और नियुक्ति पर विस्तृत रिपोर्ट देगी।*
# *चार सप्ताह में जमा होगी रिपोर्ट अगली सुनवाई 28 नवम्बर को है।*
# *कोर्ट ने 'न्यूपा' से भी शिक्षकों और शिक्षामित्रों का ब्यौरा समस्त तीन सप्ताह में हलफनामे के साथ तलब किया।*

मिशन सुप्रीम कोर्ट आप सब से पुनः अपील करता है कि आप सब कोर्ट के मामले में हमारा सहयोग करें और हौसला बढ़ाएं।
उक्त सुनवाई का विवरण हम आप को कल की पोस्ट में विस्तार से बताएँगे।
*ध्यान रहे! शिक्षामित्रों के करोड़ों रूपये सुनवाई के नाम पे बर्बाद करने वाले लोग इस सारे मामले पे अंधे बहरे बने हुए है।*
मिशन सुप्रीम कोर्ट समूह के वर्किंग ग्रुप मेंबर्स रबी बहार, केसी सोनकर, माधव गंगवार और साथी आप सब को विश्वास दिलाते हैं कि हम किसी भी धोखे का मुंह तोड़ जवाब देने में सक्षम हैं।
★आजीविका और मान सम्मान से कोई समझौता नहीं।।
©मिशन सुप्रीम कोर्ट।।

Sunday, October 9, 2016

12 सितम्बर 2015 के हाई कोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट का नज़रिया।

             *There will be a confusion.*
12 सितम्बर 2015 के हाई कोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट का नज़रिया।

2 नवम्बर 2015 को 12 सितम्बर 2015 का फैसला आ जाने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा *there will be a confusion.*
जो हाई कोर्ट की पूर्ण पीठ ने इतनी बड़ी संख्या में नियुक्त शिक्षामित्रों का समायोजन रद्द कर दिया।

अब जबकि नवम्बर में पुनः सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई है ऐसे में कोर्ट पैर्विकारों का एक मात्र लक्ष्य कोर्ट के कंफ्यूज़न को दूर करना होना चाहिए।
लेकिन अब तक इस दिशा में कोई प्रयास नहीं किया गया है।
*कोर्ट का कंफ्यूज़न क्या है?*
हाई कोर्ट की पूर्ण पीठ को ये कंफ्यूज़न था कि *शिक्षामित्र एक योजना के अंतर्गत नियुक्त सामुदायिक सेवाकर्मी हैं या संविदा शिक्षक हैं या फिर अप्रशिक्षित अध्यापक जो प्रशिक्षित हो चुके हैं।*
और इसी कंफ्यूज़न को विपक्षी बेरोज़गारों ने और बढ़ाया और शिक्षामित्रों को कोर्ट से सामुदायिक सेवाकर्मी सिद्ध करवा दिया।
उस समय कोर्ट में पैरवी कर रही राज्य सरकार और शिक्षामित्र संघ और टीम भी इस कंफ्यूज़न को दूर करने में नाकाम रहे। और शिक्षामित्रों का समायोजन रद्द हो गया।
*क्या अब भी ये कंफ्यूज़न दूर हो सकता है?*
जी हाँ। ये कंफ्यूज़न अब भी दूर हो सकता है। इसे दूर करने के लिए मिशन सुप्रीम कोर्ट समूह के रबी बहार, केसी सोनकर और साथियों द्वारा अपने अथक प्रयासों से ठोस साक्ष्य और विधिक तथ्य जमा किये गए हैं।
ताकि कोर्ट का कंफ्यूज़न दूर हो। इन साक्ष्यों को कोर्ट के समक्ष रखने के लिए अलग से याचिका की तैयारी है। *जिस के लिए जागरूक शिक्षामित्रों का सहयोग आपेक्षित है।*
★आजीविका और मान सम्मान से कोई समझौता नहीं।
©मिशन सुप्रीम कोर्ट।।

Friday, October 7, 2016

दैनिक जागरण के मालिक कोर्ट में तलब, लेबर कमिश्नरों को अखबार मालिकों की आरसी काटने के निर्देश और लताड़।

संविदा पत्रकारों की अवमानना याचिका में 4 अक्टूबर की सुनवाई का विवरण:-
◆संविदा पर काम कर रहे मीडिया कर्मियों का केस लड़ रहे "पीपल्स लॉयर" कहे जाने वाले देश के जाने माने अधिवक्ता कॉलिन गोंजाल्विस ने इस केस को जिताने में सब से महत्त्वपूर्ण रोल अदा किया है। शिक्षामित्र समायोजन केस में भी "मिशन सुप्रीम कोर्ट" समूह की ओर से लड़ रहे हैं और इस केस में भी जीत का सेहरा इनके सर बंधने वाला है।
गौरतलब है कि मजीठिया वेतन बोर्ड की सिफारिशों को लागू न करने संबंधी अवमानना मामलों की सुनवाई करते हुए माननीय सुप्रीम कोर्ट के न्‍यायमूर्ति रंजन गोगोई और न्‍यायमूर्ति प्रफुल्ल सी पंत की खंडपीठ के समक्ष सुनवाई के लिए पेश हुए वरिष्‍ठ वकील श्री कोलिन गोंजाल्विस ने उक्त चारों मामलों के संबंध में अपनी रिपोर्ट पेश की जिस पर कोर्ट का रुख साफ़ हुआ। ज्ञातव्य हो कि 27 अगस्त के आदेश के अंतिम पैराग्राफ में लिखा है कि कोर्ट ने पत्रकार व गैरपत्रकार कर्मियों की ओर से उपस्थित सीनियर काऊंसिल श्री कोलिन गोन्साल्विस के उस मुद्दे को सुना, जिसमें उन्होंने पूछा है कि क्या मजीठिया वेजबोर्ड ठेके पर रखे गए पत्रकार व गैरपत्रकार कर्मियों पर भी लागू होगा।

4 अक्टूबर की सुनवाई में वरिष्ठ वकील कोलिन गोंसाल्विस ने कोर्ट को इस तथ्य से भी अवगत कराया कि जिस कर्मचारी ने भी मजीठिया की मांग की। उसे तबादला, बर्खास्त और सस्पेंड कर दिया गया। श्रमायुक्तों की रिपोर्ट में भी इसका उल्लेख है, जिसमें हजारों की तादाद में पीड़ित कर्मचारियों ने शिकायत दी है और सुप्रीम कोर्ट में भी इस बारे में शपथ-पत्र दिया है। इस पर माननीय कोर्ट ने इस मामले में अलग से शिकायत मांगी और 8 नवम्बर को इस बारे में आदेश जारी होगा।
पीड़ित कर्मचारियों के वकील कोलिन गोंसाल्विस ने माननीय सुप्रीम कोर्ट को बताया कि विभिन्न राज्यों से अभी तक जो श्रमायुक्तों की रिपोर्ट आई हैं, उनमें भी मजीठिया नहीं देने की बात है। ऐसे में मीडिया मालिक खुलेआम माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना कर रहे हैं। श्री कोलिन ने इसके साथ ही राजस्थान पत्रिका, दैनिक भास्कर, अमर उजाला, दैनिक हिन्दुस्तान के मालिकों की कारस्तानियों से भी कोर्ट को अवगत कराया। इस पर कोर्ट ने सख्त नाराजगी जताई। ऐसी उम्मीद की जा रही है कि 8 नवम्बर को माननीय सुप्रीम कोर्ट दैनिक जागरण, दैनिक भास्कर, राजस्थान पत्रिका, दैनिक हिन्दुस्तान, अमर उजाला के खिलाफ अवमानना का केस ठोक सकता है। इसमें सीधे जेल भेजे जाने का प्रावधान है।
*माननीय सुप्रीमकोर्ट में 4 अक्टूबर को हुयी मजीठिया वेज बोर्ड मामले की सुनवाई के बाद लिखित आदेश कल 6 अक्टूबर को आया। लेकिन इस आदेश में दैनिक जागरण के मालिकों संजय गुप्ता और महेंद्र मोहन गुप्ता को तलब किए जाने का जिक्र ही नहीं है। न ही इन दोनों का नाम किसी भी संदर्भ में लिया गया है। यानि संजय गुप्ता और महेंद्र मोहन गुप्ता को अगली सुनवाई के दौरान सुप्रीमकोर्ट में उपस्थित नहीं रहना पड़ेगा।*
जबके मौखिक रूप से इस पर उनके वकीलों को कोर्ट अवगत करवा चुका है। लेकिन कोर्ट आर्डर में उन्हें तलब करने की बात दर्ज नहीं है। इसी तरह सुप्रीमकोर्ट में अगले पांच राज्यों के श्रमायुक्त को तलब करने में राजस्थान का भी नाम था लेकिन आर्डर में राजस्थान का नाम नहीं है।
लेबर कमिश्नरों को माननीय सुप्रीमकोर्ट ने मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिश लागू ना करने पर जमकर लताड़ा, साथ ही सभी लेबर कमिश्नरों को सख्त आदेश दिया कि आप इस मामले की रिकवरी सर्टिफिकेट जारी करा कर इस सिफारिश को अमल में लाइए। ये बात कोर्ट आदेश में उल्लिखित है।
कोर्ट के पूरे आदेश में बहस सिर्फ और सिर्फ "मिशन सुप्रीम कोर्ट" समूह के लिए शिक्षामित्रों का केस लड़ रहे वरिष्ठ अधिवक्ता श्री कोलिन गोन्साल्विस के इर्द गिर्द घूमती रही।
जबकि इस केस में बड़े बड़े वरिष्ठ वकील उनके विरोध में खड़े थे। मिशन सुप्रीम कोर्ट समूह के सदस्य अधिवक्ता डॉ कोलिन को अपना केस सौंप कर जीत के लिए आश्वस्त हो सकते हैं।
★आजीविका और मान सम्मान से कोई समझौता नहीं।।
©रबी बहार, केसी सोनकर और साथी*।।
मिशन सुप्रीम कोर्ट।।

Tuesday, October 4, 2016

17 नवम्बर को होगी शिक्षक भर्ती की सुनवाई!

जैसा कि कल ही आप को अवगत कराया गया था कि

जस्टिस दीपक मिश्र और जस्टिस यु यु ललित की इस सुनवाई वाली बेंच 1 बजे तक की है इसलिए केस की सुनवाई रेगुलर हियरिंग के रूप में होगी। पिछली सुनवाई की तरह मेंशनिंग के तौर पे जज साहब के दिशा निर्देश जारी होगे और 23 नवम्बर की डेट मिलेगी।

जो कि 23 नवंबर को कोर्ट पहले ही सुनिश्चित कर चुका है। मेरिट पे सुनवाई सिर्फ शिक्षक भर्ती की ही होगी। उसमे भी अगली डेट मिलने की प्रबल सम्भावना है।

■ठीक यही हुआ कोर्ट ने भारी अफरातफरी के माहौल में 72825 शिक्षक भर्ती की डेट 17 नवम्बर लगा के बात खत्म कर दी। विस्तार से कोर्ट आर्डर आने पर जानकारी दी जायेगी।

 सुनवाई में  "मिशन सुप्रीम कोर्ट" समूह की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता कॉलिन गोन्साल्विस, अधिवक्ता फ़िडेल सेबेस्टियन और अधिवक्ता(एओआर) ज्योति मेंदिरत्ता उपस्थित रहें
अब चूँकि मिशन सुप्रीम कोर्ट समूह द्वारा लिखित बहस के बिंदु कोर्ट में पहले ही 26 जुलाई को जमा किये जा चुके हैं, और केस मेरिट पे आने पे अकाट्य साक्ष्यों के साथ हाइकोर्ट के फैसले के हर हर बिंदु का जवाब तैयार कराया गया है। 
मिशन सुप्रीम कोर्ट के वर्किंग ग्रुप मेंम्बर्स रबी बहार, केसी सोनकर, माधव गंगवार और साथियो* ने अपने वकील के माध्यम से अपनी बात कोर्ट के समक्ष रखने की पूरी तैयारी की है। अब बस इंतज़ार है तो बस फाइनल बहस का।

★आजीविका और मान सम्मान से कोई समझौता नहीं।
©मिशन सुप्रीम कोर्ट।।

Friday, September 23, 2016

उत्तराखण्ड हाई कोर्ट ने शिक्षामित्र समायोजन रद्द किया!!

जैसाकि हमने अपनी पिछली पोस्ट में बताया था कि 

ललितकुमार व अन्य बीएड धारकों ने  शिक्षामित्र समायोजन केस पर आइए याचिका दायर कर कहा है कि वह शिक्षक पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण हैं, मगर सरकार ने उन्हें नियुक्ति देने के बजाय शिक्षा मित्रों को नियुक्ति दे दी और उन्हें पात्रता के बावजूद वंचित कर दिया गया। न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की एकल पीठ ने मामले की सुनवाई पुनः शुरू कर दी है।इससे पूर्व इस मामले में स्थगन आदेश हो चूका था और मामला पेंडिंग था लेकिन कुछ बीएड बेरोज़गारों ने आइए डाल के सुनवाई पुनः शुरू करवा दी । इस केस की पहली सुनवाई 2 अगस्त को हुई और दूसरी सुनवाई के लिए कोर्ट ने प्रतिवादियों राज्य सरकार एनसीटीई को हलफनामा दाखिल करने को 3 सप्ताह का समय दिया। इस मामले पर अगली सुनवाई 15 सितम्बर को हुई जिसमें कोर्ट से बीएड धारक याचिकाकर्ता द्वारा भारत सरकार को पार्टी बनाने और याचिका में संशोधन करने की मांग की गई जिसे स्वीकार कर लिया गया और दो दिन में इसे संशोधित कर जमा करने को कहा गया साथ ही भारत सरकार की तरफ से मौजूद अधिवक्ता को दस्ती नोटिस जारी किया गया।

अगली तारीख 23 सितम्बर थी जिसमे सुनवाई हुई और केस की सुनवाई की अगली तारीख 26 सितम्बर लगा दी।
उपरोक्त विवरण से ये साफ़ होता है कि सुनवाई मेरिट पे हो रही है और जल्दी ही केस का फैसला हो जायेगा।

*अब चूंकि मीडिया के माध्यम से ये सुचना मिली है कि समायोजन रद्द करने का फैसला दिया गया है ऐसे में
अब उत्तराखंड के 3300 शिक्षामित्रों की निगाहें भी सुप्रीम कोर्ट में चल रहे यूपी के शिक्षामित्रों पर टिकी हैं।*

उत्तराखंड के मामले में भी राज्य सरकार की गलती से समायोजन रद्द हुआ और यूपी में भी राज्य के अधिकारियों के टेट छूट मांगने के कारण समायोजन रद्द हुआ। शिक्षामित्र जब पूर्व नियुक्त अध्यापक के रूप में श्रेणीकृत हैं तो इन पर टेट परीक्षा लागू ही नहीं होती है। ये तथ्य यूपी की राज्य सरकार न तो अपने नियमावली संशोधन में स्थापित कर पाई न ही कोर्ट में। इसी तरह उत्तराखंड में भी टेट छूट को आधार बनाया गया जबकि टेट से छूट नहीं दी जा सकती। 


अब चूंकि मिशन सुप्रीम कोर्ट समूह अपने द्वारा जमा किये गए साक्ष्यों से सुप्रीम कोर्ट में शिक्षामित्रों को पूर्व नियुक्त शिक्षक सिद्ध करने के लिए लड़ रहा है ऐसे में यूपी के समायोजन केस का निर्णय देश भर के संविदा शिक्षकों का भविष्य तय करेगा ऐसा प्रतीत होता है।
मिशन सुप्रीम कोर्ट समूह देश भर के पारा शिक्षकों के मामले पर नज़र रखे है और सुप्रीम कोर्ट से न्यायोचित फैसले के लिए जी जान से जुटा है।
★आजीविका और मान सम्मान से कोई समझौता नहीं।।
©रबी बहार, केसी सोनकर, माधव गंगवार और साथी*।।