Sunday, August 14, 2016

बीएड बेरोज़गार प्राथमिक शिक्षक बनने के हक़दार ही नहीं हैं!!

क्या कारण है? बीएड, बीटीसी बेरोज़गार नेता पिछले कई माह से लगातार अनुच्छेद 21क को लेकर पोस्ट लिखते आ रहे हैं, आइये इसका खुलासा करते हैं।
                   दरअसल इन लोगों की अपील का आधार और निर्भरता ही इसी पर है। उन्नीकृष्णन केस के क्रम में संविधान पीठ ने राज्यों को अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा का प्राविधान किया चूँकि बिना शिक्षकों के ये संभव नहीं है इसलिये ये लोग अपनी नियुक्ति न होने को मौलिक अधिकार बताते हैं। बात तो काफी हद तक ठीक भी है लेकिन ये मौलिक अधिकार वरीयता क्रम में आखरी है।
इस संदर्भ में सर्वप्रथम अधिकार शिक्षामित्रों का फिर बीटीसी का। यहाँ बीएड का नाम लिखना धृष्टता होगी। जो हम नहीं करेंगे। चूँकि बीएड कभी भी बेसिक शिक्षा के लिए नहीं माँगा गया बल्कि एनसीटीई ने अपने रेगुलाशन्स में प्राथमिक शिक्षक नियुक्ति के लिए बीएड को इनवैलिड और इल्लीगल बताया है।
साथ टेट के सम्बन्ध में भी एनसीटीई का स्पष्ट मत है:-
पैरा 9 B
qualifying  the TET  would  not confer  a  right  on  any person  for recruitment/employment as it  is  only  one  of the eligibility  criteria  for appointment.
अर्थात टेट पास कर लेने से कोई व्यक्ति नोकरी पाने का अधिकारी नहीं होगा बल्कि ये एक पात्रता मात्र है।

अब बात करते हैं रिक्त पदों की।
इन बेरोज़गारों ने रिक्त पदों पर अपनी नियुक्ति की मांग की है। हमने इन याचिकाओं का अध्ययन करने पर ये पाया:-
there are more that 4.86 lacs vacant posts in class I to V. The true typed copy of decision of state Assembly dated 14.02.2014
साफ़ है इनलोगो ने अपनी याचिकाओं में 14 फरवरी 2014 के शिक्षामित्रों के समायोजन के कैबिनेट डिसीजन को आधार बनाया है।
ये भूल कर की 170000 पोस्ट को राज्य सरकार रिजर्व कर चुकी थी और 2011 से 2016 तक लगातार इन पदों पर केंद्र द्वारा मानदेय और वेतन की संस्तुति होती रही है।
●इन्हें ये भी नहीं पता कि ये सभी पद केंद्र सरकार के एसएसए कैडर में रखे गए थे और ये राज्य के कैडर की रिक्तियां नहीं थी। राज्य कैडर की रिक्तियों पे वर्तमान में बीटीसी की भर्ती गतिमान है। अवशेष 14000 की सीटें अभी भी सुरक्षित हैं।
"मिशन सुप्रीम कोर्ट" के वर्किंग ग्रुप मेंबर्स रबी बहार, केसी सोनकर और माधव गंगवार ने ये पड़ताल की कि इन सब "याचिकाओं" में याचियों ने शिक्षामित्रों को हटाने के लिए किस बिंदु को आधार बनाया है? तो वह आधार ये है :-
There was also a challenge to a further Government Order dated 19.06.2014 implementing the decision of the State Government to absorb Shiksha Mitras into regular service.
अर्थात 19 जून 2014 को जारी समायोजन आदेश को चुनौती दी गई है। कहने का अर्थ ये कि 16 क को आधार बना कर बार बार हमला किया गया है।
और हमने अपने वरिष्ठ वकील डॉ कॉलिन गोन्साल्विस के माध्यम से इन सब बिन्दुओ का मुंह तोड़ जवाब देने की तैयारी की है। क्योकि
★आजीविका और मान सम्मान से कोई समझौता नहीं।।
©मिशन सुप्रीम कोर्ट।