Monday, August 1, 2016

शिक्षामित्र प्रशिक्षण को हाईकोर्ट की पूर्णपीठ के बाद लखनऊ खंडपीठ ने भी वैध बताया।

◆बीटीसी/बीएड बेरोज़गारों के मन की मुराद अंशतः पूरी हुई!
◆बीटीसी/बीएड बेरोज़गार चाहते थे शिक्षामित्र खुली भर्ती में आएं और कोर्ट ने टेट पास शिक्षामित्रों को सभी बीटीसी भर्तीयों में शामिल होने का रास्ता खोल दिया।
◆बीटीसी बेरोज़गार लगातार शिक्षामित्रों की ट्रेनिंग अवैध करवाने और उनको बाहर करने के लिए रिट पे रिट डालते रहे हैं।
◆आज से बीटीसी अभ्यर्थी खुद अपने लिए निकली भर्ती में आने में कडा मुक़ाबला करना पड़ेगा।

आज हुई सुनवाई में लखनऊ खंडपीठ ने शिक्षामित्रों को बीटीसी भर्ती में शामिल होने को लेकर पड़ी याचिका को निस्तारित करते हुए कोर्ट बीटीसी भर्ती में शामिल होने का आदेश जारी कर दिया।

12 सितम्बर के फैसले में एनसीटीई के वकील की हठधर्मी और मक्कारी के वावजूद इलाहाबाद हाइकोर्ट की पूर्णपीठ ने शिक्षामित्रों का दूरस्थ बीटीसी प्रशिक्षण वैध माना था। और ये फैसला बार बार के विरोध के बाद भी 15000 और 16448 बीटीसी भर्ती पे भी अटल रहा।
अब ये बात अपनी जगह सिद्ध हो गई कि शिक्षामित्रों को अयोग्य बताने वाले बेरोज़गार खुद उनसे मुक़ाबला न हो इसके लिए झटपटा रहे हैं।

"मिशन सुप्रीम कोर्ट" के वर्किंग ग्रुप मेंबर्स रबी बहार और केसी सोनकर और साथियों ने आज आये फैसले और इससे पूर्व इलाहबाद हाइकोर्ट की एकल पीठ से अधिवक्ता अशोक खरे द्वारा कराये आधा दर्जन फैसलों का अध्ययन करने के बाद इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि:-
आज लखनऊ खंडपीठ से आये फैसले का सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई में कोई भी लाभ नहीं होने वाला।
ये फैसला मात्र बीटीसी बेरोज़गारों को हतोत्साहित करने का कार्य करेगा।
अब जबकि बीटीसी बेरोज़गार हतोत्साहित हैं तो हम अपने लक्ष्य को आसानी से पा सकेंगे। सुप्रीम कोर्ट में डीबीटीसी ट्रेनिंग के विरुद्ध पड़ी याचिकाएं रद्दी की टोकरी के हवाले हों इस के लिए हमारी तैयारी पूर्ण है।
★आजीविका और मान सम्मान से कोई समझौता नहीं।।
©मिशन सुप्रीम कोर्ट।।

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