Wednesday, August 10, 2016

शिक्षामित्र तो आरटीई एक्ट के दायरे में आते हैं।।

कितनी अजीब बात है वो लोग जो खुद संविधान के अनुच्छेद 21क और राज्य सरकार की अनुकम्पा से एडहॉक पे नियुक्ति पा चुके हैं या फिर पाने की कोशिश में हैं ऐसे बीएड/बीटीसी बेरोज़गार उन शिक्षामित्रों को 21क पे बहस होगी बता रहे हैं जिन शिक्षामित्रों की नियुक्ति ही 21-A की बाध्यता के कारण हुई।

आइये हम उन तथाकथित बेरोज़गारों के नेताओं का सामान्य ज्ञान बढ़ा दें कि:- अनुच्छेद 21क और उसके अधीन निर्मित आरटीई एक्ट की वैधानिकता पर
पांच जजों की संविधान पीठ जिस में Chief Justice R.M. Lodha Justices A.K. Patnaik, *Dipak Misra, S.J. Mukhopadhaya and Ibrahim Kalifulla शामिल थे, अनुच्छेद 21क पर वृहद् चर्चा कर 174 पृष्ठ का फैसला सुना चुकी है। और अब इस पर किसी ख़ास बहस की गुंजाईश नहीं है। और अगर होगी तो अनुच्छेद 40, 41, और विशेष रूप से 43 पे होगी।

अब आइये हम बीएड/बीटीसी बेरोज़गारों को हाई कोर्ट के फैसले में से वो खंड पढ़वा दें जो इनकी हार का कारण बनेगा। जिसे सीजे ने इन शब्दों में लिखा:-
it would now be necessary to deal with the regulatory provisions contained, firstly in the NCTE Act and the later enactment of the RTE Act of 2009.
अर्थात ये ज़रूरी होगा कि शिक्षामित्र एनसीटीई और आरटीई एक्ट के दायरे में लाये जाएँ।
"मिशन सुप्रीम कोर्ट" के वर्किंग ग्रुप मेंबर्स रबी बहार, केसी सोनकर, माधव गंगवार और साथी* अपने सीनियर वकील डॉ कॉलिन गोंजाल्विस और फ़िडेल सेबेस्टियन के माध्यम से 21क पर हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस डॉ चंद्रचूर्ण के ही उक्त शब्दों को साक्ष्य और तथ्यों के साथ सिद्ध करने की तैयारी की है।

जाके कोई कह दे, शोलों से, चिंगारी से।।

फूल इस बार खिले हैं, बड़ी तैयारी से।।

हम शिक्षामित्रों को एनसीटीई एक्ट और एनसीटीई के नियमानुसार नियुक्त होना सिद्ध करने में सक्षम हैं।बीएड/बीटीसी बेरोज़गारों के नेता तैयार रहे उनका वास्ता अब आम शिक्षामित्रों से पड़ा है। क्योंकि अब

★आजीविका और मान सम्मान से कोई समझौता नहीं।।
©मिशन सुप्रीम कोर्ट।।

2 comments:

Unknown said...

Bahut jald himansu v asharad thandey ho jayenge.

Unknown said...

Bahut jald himansu v asharad thandey ho jayenge.