Sunday, August 28, 2016

शिक्षामित्र समायोजन केस का 72825 भर्ती से डिटैग होने के निहितार्थ।

24 अगस्त की सुनवाई में  "मिशन सुप्रीम कोर्ट" समूह की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता कॉलिन गोन्साल्विस, अधिवक्ता ज्योति मेंदिरत्ता उपस्थित रहे और "मिशन सुप्रीम कोर्ट" के वर्किंग ग्रुप मेंम्बर्स रबी बहार, केसी सोनकर, माधव गंगवार और साथियो* ने अपने वकील के माध्यम से अपनी बात कोर्ट के समक्ष रखने की पूरी तैयारी की थी। बस इंतज़ार था तो बस फाइनल बहस का। लेकिन केस का नंबर आते ही जज महोदय ने 23 नवंबर की तारीख लगाते हुए शिक्षामित्र समायोजन के 72825 भर्ती मामले से अलग कर दिया।
पूरी सुनवाई मिशन सुप्रीम कोर्ट समूह के अनुमान अनुरूप हुई जैसा कि हम अपनी पिछली पोस्ट में बता चुके थे।

आइये अब इसके निहितार्थ को समझते हैं।

72825 शिक्षक भर्ती  मामले से समायोजन केस अलग होना इस बात का स्पष्ट संकेत है कि कोर्ट शिक्षक भर्ती मामले को 5 ओक्टूबर को निबटा कर इनका लोकस खत्म करना चाहता है। साथ ही 72825 से अधिक एक भी याची के पक्ष में नहीं है। यही कारण है कि बीएड बीटीसी बेरोज़गारों का मनोबल 24 अगस्त से टूट चुका है और वे गहरी निराशा के गर्त में है।

समायोजन मामले पर अब चूँकि 23 नवंबर को सुनवाई होगी और ये सुनवाई मेरिट पर होगी। ऐसा प्रतीत होता है। सभी पार्टीज़ से लिखित बहस के बिंदु मांगे जा चुके हैं। संयुक्त सक्रिय संघ को छोड़ कर लगभग सभी ने ये बिंदु जमा कर दिए हैं। चूँकि कोर्ट के समक्ष बड़ी संख्या में एसएलपी डाली गई हैं जिन पर 100 से अधिक वकील खड़े होंगे। ऐसे में उक्त लिखित बिन्दुओ के आधार पर कोर्ट बहस करायेगा। ताकि सिर्फ सीनियर अधिवक्ता ही बोल सकें वो भी तब जब राज्य सरकार के वकील की बहस पूरी हो जाये तब। यहाँ उन लोगों को मौका मिलेगा जो अपनी बात संवैधानिक उपबन्धों पर लिखित बहस जमा कर चुके होंगे। मिशन सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ कॉलिन द्वारा लिखित बहस खुद तैयार कर जमा की गई है और शिक्षामित्रों की ओर से दाखिल की गई अब तक की सभी एसएलपी से अलग और संवैधानिक उपबन्धों पर आधारित एसएलपी है। लिखित बहस को भी इसी का आधार दिया गया है।

★आजीविका और मान सम्मान से कोई समझौता नहीं।
©मिशन सुप्रीम कोर्ट।।

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