Thursday, June 23, 2016

दूरस्थ बीटीसी कोर्ट की नज़र से।

⚖दूरस्थ बीटीसी : कोर्ट की नज़र से।⚖
जैसा कि आप सब के संज्ञान में हैं कि हम लोगों की तरफ से ट्रेनिंग केस में 2⃣8⃣ अप्रैल की सुनवाई में ज़ोरदार प्रतिवाद की तैयारी की गई है।
✍🏼विरोधियों के सामान्य ज्ञान के लिए बता दूँ कि मात्र उत्तर प्रदेश ही नहीं उड़ीसा और बिहार में भी डीबीटीसी का प्रशिक्षण एससीईआरटी ने ही करवाया है।
खैर बात करते हैं अब तक कोर्ट का इस ट्रेनिंग को लेकर क्या नज़रिया रहा।
⚖वर्ष 2011 में जब ट्रेनिंग शुरू होने जा रही थी तभी से लोगों के सीने पे लोटने लगे थे। मुकदमा हुआ लेकिन
कोर्ट ने तब भी कहा कि नहीं ये सही है।
⚖फिर 12 सितम्बर 2015 का दिन आया बीटीसी वालो अपने बुरे इरादे कामयाब होते नहीं दिखे।
बृहद पीठ ने समायोजन तो रद्द किया लेकिन ट्रेनिंग को वैध ही माना।
⚖इसी दिन 12 सितम्बर को ही उस गधे को भी कोर्ट ने लात मार के भगा दिया।
जिसने 2011 में मुकदमा डाल के ट्रेनिंग पर रोक लगवाने का कुत्सित और असफल प्रयास किया था
✍🏼12 सितम्बर को ही ट्रेनिंग मुद्दे पर संतोष कुमार मिश्र की रिट पर भी सुनवाई कर के सीजे ने ख़ारिज कर दी।
⚖इसी तरह के कई मुक़दमे आते रहे और ख़ारिज होते रहे।

एक मुकद्दमे में तो जज साहब ने ये भी लिख दिया कि :
The purpose of training the untrained Shiksha Mitras is to make them eligible for appointment as Assistant Teachers
⚖ और अंत में ये मुकद्दमा भी खारिज हो के रहेगा।
जिस की सुनवाई 28 अप्रैल को है।
✍🏼©रबी बहार**&केसी सोनकर और साथी*।।

1 comment:

Unknown said...

नाईस वन रवि जी