Sunday, September 4, 2016

शिक्षा का ठेका और ठेके के शिक्षकों का शिक्षक दिवस।।

आज देश भर के शिक्षक जब शिक्षक दिवस मना रहे हैं ऐसे में देश के लगभग 6 लाख शिक्षक जिन्हें राज्य सरकारों ने न तो शिक्षक का पद नाम ही दिया है और न ही शिक्षक का दर्जा। वे अपनी आजीविका और मान सम्मान की लड़ाई लड़ रहे हैं।
आज़ादी के 70 साल बाद भी देश में ठेके पे शिक्षक रखे जाने की प्रथा का अंत नहीं हो सका। देश में आज भी 6 लाख ठेका शिक्षक तैनात हैं और तैनात किये जा रहे हैं।

झारखण्ड, मध्य प्रदेश, गुजरात, पश्चिम बंगाल, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, राजिस्थान आदि के पैरा शिक्षकों में उत्तर प्रदेश और झारखण्ड के शिक्षक आज शिक्षक दिवस का बहिष्कार करने को मजबूर हैं।
आंदोलनरत है उत्तर प्रदेश के पैरा शिक्षक:-
आज पांच सितम्बर को उत्तर प्रदेश के 26000 पैरा शिक्षक लखनऊ में धरने पे बैठे हैं।
ये कैसा शिक्षक दिवस है जिस में आजीविका और मान सम्मान के लिए एक शिक्षक सड़क पर आ गया है।
वर्ष 2005 में जब आरटीई अधिनियम लागू करने के लिए राज्यों से बात की गई तो राज्यों का कहना था कि हमारे पास शिक्षकों के लिए धन का अभाव है। अब जबकि 2010 में आरटीई लागू करने को राजी हुए तो तै हुआ कि इस संवैधानिक वाध्यता के अधीन सभी राज्य नियमित शिक्षक रखेंगे। और इनको नियमित करने की समय सीमा 31 मार्च 2015 रखी गई।
लेकिन अधिकाँश राज्य इस मद में धन तो पा रहे हैं लेकिन एक शिक्षक को उसका अधिकार नहीं दे रहे।
क्या कहता है आरटीई एक्ट:-
अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 की धारा 23(3) में स्पष्ट उल्लेख है कि प्रत्येक शिक्षक कार्य करने वाले व्यक्ति को वेतन भत्ते और अन्य सुविधाएं दी जाएँ।
लेकिन राज्य की सरकारों ने इस क़ानून का मज़ाक बना के रख दिया है। यूपी के 26000 लोग मात्र 3500 रूपये में जीवन यापन करने को मज़बूर हैं। और खून के आंसू रो रहे हैं। झारखण्ड में 5000 रूपये तो अन्य राज्यों में 8 और 12000 रूपये में ज़िन्दगी घसीट रहे हैं।
हमने सोचा था कि हाकिम से करेंगे फरयाद।
वो भी कमबख्त तेरा चाहने वाला निकला।।

जबकि ये तब है जब देश की सर्वोच्च अदालत को आरटीई एक्ट के लागू करने की निगरानी करने का दायित्व सौंपा गया है।
हुआ इसका उल्टा एक तरफ हिमाचल हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने तो अपनी ज़िम्मेदारी निभाते हुए सभी ठेका शिक्षकों को नियमित करने का आदेश दिया वहीँ दूसरी तरफ उसी साल में यूपी के मुख्य न्यायाधीश ने नियमित का हटाने का आदेश दिया।
अब मामला देश की सर्वोच्च अदालत के सामने है। उम्मीद की जाती है कि वो संविधान की रक्षा करते हुए देश भर के पैरा शिक्षकों को नियमित कर के उन्हें शिक्षक का सम्मान देने का आदेश करेगीे। और देश के 6 लाख ठेका शिक्षक ठेके की शिक्षा व्यवस्था से निजात पाएंगे। और 5 सितम्बर 2017 का शिक्षक दिवस शिक्षक के रूप में मनाएंगे।
★आजीविका और मान सम्मान से कोई समझौता नहीं।।
©रबी बहार, केसी सोनकर, माधव गंगवार और साथी*।
मिशन सुप्रीम कोर्ट।।

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