Sunday, September 11, 2016

*हाई कोर्ट के फैसले से आहत लोगों की मौतों का ज़िम्मेदार कौन??

              (11 मई 2015 से 11 सितम्बर 2016 तक)
*शिक्षामित्र पद से सहायक अध्यापक होने तक के सफर में क्या खोया क्या पाया*

“दूसरों की गलतियों से सीखें … आपका जीवन इतना लम्बा नहीं है कि इन सब को आप स्वयं करके सीखें.”
— चाणक्य
आज ही के दिन हाई कोर्ट ने शिक्षामित्र समायोजन रद्द किया और अगले दिन अर्थात 12 सितम्बर को इसे सुनाया गया था।
जैसा कि चाणक्य का उपरोक्त कथन हमारे सामने है। इसको अपनी प्रेरणा बनाते हुए मिशन सुप्रीम कोर्ट के रबी बहार, केसी सोनकर, माधव गंगवार और साथी इस फैसले को अपने साक्ष्यों से गलत सिद्ध करने को जुटे है।
*हाई कोर्ट के फैसले से आहत लोगों की मौतों का ज़िम्मेदार कौन है*:- सच तो ये है कि 11 मई 2015 को इलाहाबाद हाई कोर्ट की डबल बेंच ने क्या होने वाला है बता दिया था। दिनांक 11 मई 2015 को इलाहाबाद हाइ कोर्ट जस्टिस वी के शुक्ला तथा हूलुवादी जी रमेश द्वारा फ्रेश केस की सुनवाई मे दिया गया ऑर्डर, जिसमे साफ कहा गया कि इस केस की अंतिम सुनवाई के समय शिक्षामित्रों को सहानुभूति व दया के आधार पर कोई छूट नही दी जाएगी तथा इस समायोजन से होने वाले नफा-नुकसान की ज़िम्मेदारी राज्य सरकार की होगी ।
इसके पूर्व मे जस्टिस वी के शुक्ला व जस्टिस कृष्ण मुरारी जी द्वारा रिट संख्या 3205 /2014 मे ऐसा ही ऑर्डर पास किया गया था जिसमे साफ किया गया था की समायोजन सरकार अपनी रिस्क पर करा रही है ।
इस तरह के फैसले से यह साफ होता है की जब भी निर्णय आएगा शिक्षामित्रों की ये दलील काम नही आएगी की वे 14 साल से पढ़ा रहे हैं और 14 महीने से राज्य सरकार के कर्मचारी हैं ।
यहाँ ये साफ़ हुआ कि इसकी पहली ज़िम्मेदारी राज्य और केंद्र सरकार की है। फिर इसके बाद इन मौतों की ज़िम्मेदार बहराइच टीम उर्फ़ एसएसकल्याण समिति, आदर्श शिक्षामित्र एसोसिशनऔर प्र शिक्षामित्र संघ की है।
क्यों? ये ही वो लोग थे जिनके सामने ऐसे कई आर्डर लुखनऊ और इलाहबाद बेंच ने दिए लेकिन किसी भी संघ या टीम ने मज़बूत पैरवी न करते हुए सब कुछ राज्य के भरोसे छोड़ दिया। वर्तमान में इन लोगों की भूमिका सुप्रीम कोर्ट में भी हाई कोर्ट जैसी ही है। जहाँ 57 एसएलपी राज्य की एसएलपी की प्रतिलिपि हों वहां आप और हम क्या उम्मीद कर सकते हैं।
*ब्लैक डे/काला दिवस हम उन साथियों की मौत का तो मना ही रहे हैं, साथ ही संघों की हालत पर भी मनाने को जी चाहता है*
अब बात वर्तमान हालात की अगर सुप्रीम कोर्ट से कोई बुरी खबर आई तो इसके ज़िम्मेदार टेट पास शिक्षामित्रों की एसएलपी होंगी। और 45 से 55 साल वाले शिक्षामित्र अगर कोई गलत क़दम उठाते हैं तो इस के लिए पूरी तरह ज़िम्मेदार टेट पास शिक्षामित्र एसएलपी धारक ही होंगे।
★आजीविका और मान सम्मान से कोई समझौता नहीं।।
*पोस्ट से सम्बंधित कोर्ट आर्डर देखने के लिए हमारे पेज पर विजिट करें*
©रबी बाहर,

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