Friday, October 7, 2016

दैनिक जागरण के मालिक कोर्ट में तलब, लेबर कमिश्नरों को अखबार मालिकों की आरसी काटने के निर्देश और लताड़।

संविदा पत्रकारों की अवमानना याचिका में 4 अक्टूबर की सुनवाई का विवरण:-
◆संविदा पर काम कर रहे मीडिया कर्मियों का केस लड़ रहे "पीपल्स लॉयर" कहे जाने वाले देश के जाने माने अधिवक्ता कॉलिन गोंजाल्विस ने इस केस को जिताने में सब से महत्त्वपूर्ण रोल अदा किया है। शिक्षामित्र समायोजन केस में भी "मिशन सुप्रीम कोर्ट" समूह की ओर से लड़ रहे हैं और इस केस में भी जीत का सेहरा इनके सर बंधने वाला है।
गौरतलब है कि मजीठिया वेतन बोर्ड की सिफारिशों को लागू न करने संबंधी अवमानना मामलों की सुनवाई करते हुए माननीय सुप्रीम कोर्ट के न्‍यायमूर्ति रंजन गोगोई और न्‍यायमूर्ति प्रफुल्ल सी पंत की खंडपीठ के समक्ष सुनवाई के लिए पेश हुए वरिष्‍ठ वकील श्री कोलिन गोंजाल्विस ने उक्त चारों मामलों के संबंध में अपनी रिपोर्ट पेश की जिस पर कोर्ट का रुख साफ़ हुआ। ज्ञातव्य हो कि 27 अगस्त के आदेश के अंतिम पैराग्राफ में लिखा है कि कोर्ट ने पत्रकार व गैरपत्रकार कर्मियों की ओर से उपस्थित सीनियर काऊंसिल श्री कोलिन गोन्साल्विस के उस मुद्दे को सुना, जिसमें उन्होंने पूछा है कि क्या मजीठिया वेजबोर्ड ठेके पर रखे गए पत्रकार व गैरपत्रकार कर्मियों पर भी लागू होगा।

4 अक्टूबर की सुनवाई में वरिष्ठ वकील कोलिन गोंसाल्विस ने कोर्ट को इस तथ्य से भी अवगत कराया कि जिस कर्मचारी ने भी मजीठिया की मांग की। उसे तबादला, बर्खास्त और सस्पेंड कर दिया गया। श्रमायुक्तों की रिपोर्ट में भी इसका उल्लेख है, जिसमें हजारों की तादाद में पीड़ित कर्मचारियों ने शिकायत दी है और सुप्रीम कोर्ट में भी इस बारे में शपथ-पत्र दिया है। इस पर माननीय कोर्ट ने इस मामले में अलग से शिकायत मांगी और 8 नवम्बर को इस बारे में आदेश जारी होगा।
पीड़ित कर्मचारियों के वकील कोलिन गोंसाल्विस ने माननीय सुप्रीम कोर्ट को बताया कि विभिन्न राज्यों से अभी तक जो श्रमायुक्तों की रिपोर्ट आई हैं, उनमें भी मजीठिया नहीं देने की बात है। ऐसे में मीडिया मालिक खुलेआम माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना कर रहे हैं। श्री कोलिन ने इसके साथ ही राजस्थान पत्रिका, दैनिक भास्कर, अमर उजाला, दैनिक हिन्दुस्तान के मालिकों की कारस्तानियों से भी कोर्ट को अवगत कराया। इस पर कोर्ट ने सख्त नाराजगी जताई। ऐसी उम्मीद की जा रही है कि 8 नवम्बर को माननीय सुप्रीम कोर्ट दैनिक जागरण, दैनिक भास्कर, राजस्थान पत्रिका, दैनिक हिन्दुस्तान, अमर उजाला के खिलाफ अवमानना का केस ठोक सकता है। इसमें सीधे जेल भेजे जाने का प्रावधान है।
*माननीय सुप्रीमकोर्ट में 4 अक्टूबर को हुयी मजीठिया वेज बोर्ड मामले की सुनवाई के बाद लिखित आदेश कल 6 अक्टूबर को आया। लेकिन इस आदेश में दैनिक जागरण के मालिकों संजय गुप्ता और महेंद्र मोहन गुप्ता को तलब किए जाने का जिक्र ही नहीं है। न ही इन दोनों का नाम किसी भी संदर्भ में लिया गया है। यानि संजय गुप्ता और महेंद्र मोहन गुप्ता को अगली सुनवाई के दौरान सुप्रीमकोर्ट में उपस्थित नहीं रहना पड़ेगा।*
जबके मौखिक रूप से इस पर उनके वकीलों को कोर्ट अवगत करवा चुका है। लेकिन कोर्ट आर्डर में उन्हें तलब करने की बात दर्ज नहीं है। इसी तरह सुप्रीमकोर्ट में अगले पांच राज्यों के श्रमायुक्त को तलब करने में राजस्थान का भी नाम था लेकिन आर्डर में राजस्थान का नाम नहीं है।
लेबर कमिश्नरों को माननीय सुप्रीमकोर्ट ने मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिश लागू ना करने पर जमकर लताड़ा, साथ ही सभी लेबर कमिश्नरों को सख्त आदेश दिया कि आप इस मामले की रिकवरी सर्टिफिकेट जारी करा कर इस सिफारिश को अमल में लाइए। ये बात कोर्ट आदेश में उल्लिखित है।
कोर्ट के पूरे आदेश में बहस सिर्फ और सिर्फ "मिशन सुप्रीम कोर्ट" समूह के लिए शिक्षामित्रों का केस लड़ रहे वरिष्ठ अधिवक्ता श्री कोलिन गोन्साल्विस के इर्द गिर्द घूमती रही।
जबकि इस केस में बड़े बड़े वरिष्ठ वकील उनके विरोध में खड़े थे। मिशन सुप्रीम कोर्ट समूह के सदस्य अधिवक्ता डॉ कोलिन को अपना केस सौंप कर जीत के लिए आश्वस्त हो सकते हैं।
★आजीविका और मान सम्मान से कोई समझौता नहीं।।
©रबी बहार, केसी सोनकर और साथी*।।
मिशन सुप्रीम कोर्ट।।

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